Everything about bhairav kavach
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सिद्धिं ददाति सा तुष्टा कृत्वा कवचमुत्तमम् ।
ॐ ह्रीं पादौ महाकालः पातु वीरासनो हृदि ॥ १३॥
भीषणो भैरवः पातु उत्तरास्यां तु सर्वदा
देयं पुत्राय शिष्याय शान्ताय प्रियवादिने ॥ ३०॥
संहार भैरवः पायादीशान्यां च महेश्वरः
नैऋत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे
दीप्ताकारं विशदवदनं सुप्रसन्नं त्रिनेत्रं
देवेशि देहरक्षार्थ कारणं कथ्यतां ध्रुवम्।।
वैसे तो भैरव कवच का पाठ नित्य पूजा में बोलकर आसानी से किया जा सकता है, यदि bhairav kavach कोई विशेष कामना हो, जैसे किसी तंत्र बाधा से रक्षा, परीक्षा में सफलता, चुनाव में विजय आदि तो इस विधि से भैरव कवच का पाठ करें।
कालभैरव भगवान शिव के रौद्र अवतार हैं। आदि शंकराचार्य ने काल भैरव अष्टक में भगवान शिव के इस रूप का वर्णन किया है। कालभैरव ब्रह्म कवच कालभैरव का एक शक्तिशाली भजन है। ऐसा कहा जाता है कि इस ढाल का जाप करने से आप जादू-टोने और अन्य शत्रुओं के हमलों से बच जाते हैं।
महाकालाय सम्प्रोच्य कूर्चं दत्वा च ठद्वयम् ।